Sunday, June 6, 2010

जागेश्वर (नागेश्वर )

  देव भूमि उत्तराखंड सदियों से ही ऋषियों मुनियों की तपो स्थली रही है, भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अल्मोरा जिले मे जागेश्वर नाम की एक जगह है,जहाँ जागनाथ  का मन्दिर स्थित  है | जागनाथ  का मन्दिर १२ ज्योतिर्लिंगों  मे से एक है जिसे नागेश्वर (दारुकाबन)के नाम से जाना जाता है|जागेश्वर जिला मुख्यालय अल्मोरा से ३४ की;मी; की दूरी पर स्थित है जो एक संकीर्ण घाटी  मे बसा हुआ है| इस ज्योतिर्लिंग परिसर मे १२४ देवी देवताओं के मन्दिर हैं जिनमें  जागनाथ ,नव दुर्गा ,महामृत्युंजय ,केदारनाथ,कुबेर, दानेश्वर,  वृद्ध  जागेश्वर, कोटेश्वर, झाकर सैंम आदि के मन्दिर शामिल  हैं| ये सारे  मन्दिर ११वी सदी के बने हुए हैं|
जागेश्वर चारो  तरफ से ऊँचे  ऊँचे पर्वतों से घिरा हुआ है| जो बांज बुरांश और देवदार के पौधो  से भरे हुए है| जागनाथ  से वृद्ध  जागेश्वर जाने के लिए  ३ की: मी: की चढ़ाई चढ़नी पड़ती  है| वृद्ध जागेश्वर पहाड़ी   पर स्थित है यहाँ से नंदा देवी की पहाडियों   के नज़ारे देखने को मिलते हैं जो दिल को छू जाते हैं|बसंत ऋतु मे तो यहाँ कुदरत के नज़ारे देखने को मिलते हैं  मानो कुदरत आप का स्वागत कर रही है | जगह जगह  फूल आप के ऊपर गिरते हैं और सारा जंगल बुरांश महल आदि के फूलों से लदा रहता है | यहाँ पर कई जीवन दायिनी  जड़ी  बूटियाँ भी मिलती हैं, इसी लिए इसे दारू का बन कहा गया है| जागेश्वर ७००० फुट की ऊंचाई पर है | यहाँ जंगलों मे अनेक प्रकार के जीव देखने को मिलते हैं | बाघ, भालू, लंगूर, बन्दर , जंगली सूकर, चुथराव, घुरढ़, काकढ़  आदि जंगली जीव आम बिचरते नजर आ जाते   हैं |                                                                                  जागेश्वर मे साल मे कई बार मेले लगते हैं | गर्मियों मे तो यहाँ पर सैलानियों का मेला लगा ही रहता है | शिव रात्रि को यहाँ पर बहुत बड़ा  मेला आयोजित  होता है जिस मे लोग दूर दूर से आते हैं| कई लोग यहाँ पर मन्नतें मांगने आते है तो कई लोग मन्नत पूरी होने की ख़ुशी  मे आते हैं और भगवन शिव का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं | जो भी यहाँ सच्चे मन से मुराद मांगता है उस की मुराद भगवन शिव पूरी करते हैं| शिव भक्त सावन के महीने मे हर सोमवार को शिवजी का जल और कच्ची लस्सी से अभिषेक करते हैं, और महादेव  से अपनी अपनी इछ्छा पूरी करने की कामना करते हैं,| भगवन सदाशिव उन की कामना पूरी भी करते हैं| यहाँ के मेले मे कुमाऊ  का सभ्याचार देखने को मिलता है, लोग अपनी अपनी कला का प्रदर्शन  करके अपनी कला को उजागर करते हैं और लोगों का दिल बहलाते हैं| झोढ़ा, चांचरी  छोलिया नृत्य मुख्य आकर्षण का केन्द्र बनते हैं| गायक लोग भी यहाँ पर अपनी अपनी कविता, भगनौल,बैर आदि गाकर लोगों का समय बांध देते हैं और अपने हुनर को आगे बढ़ाते हैं|                                                                                     

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