Thursday, May 13, 2010

यात्रा

सैर करना आदमी की फितरत में है. आदमी अपनी जिन्दगी में काफी लम्बा सफ़र तय करता है, लेकिन पूरे परिवार के साथ सैर करने का अपना ही मज़ा है, खास कर जब कुदरत और भगवन दोनों के दर्शन एक साथ हो. ऐसी जगह केदारनाथ बद्रीनाथ के सिवाय और कहाँ मिल सकती है. इस लिए हमने फैसला किया की गर्मी के मौसम मे उत्तराखंड के चार धामों में से दो धाम बद्रीनाथ धाम और केदार नाथ के दर्शन किए जाएँ. यहाँ के दरवाजे मई आखिर मे खुलते हैं तो हमने जून शुरू में जाने का प्रोग्राम बनाया उस साल बद्रीनाथ के कपाट २४ मई को खुले. हमने २ जून को जाने का फैसला किया और सारा परिवार हरिद्वार मे एकत्र हो गए और होटल में कमरा लेकर ठहर गए. सुबह अमृत वेले हम सबने हर की पौढ़ी में गंगा जी में दुबकी लगाई, पानी काफी ठंडा था दाँत बज रहे थे फिर भी दुबकी लगाने में मज़ा आ रहा था नहा कर प्राचीन गंगा मंदिर में माथा टेक कर हम कमरे की तरफ बढ़ गए कमरे से तैयार हो कर बाज़ार की तरफ को आगये नास्ता किया और आगे के सफर के लिए बस का टिकट और टाइम पता करने गए पता चला की देवभूमि केदार नाथ के लिए बस ऋषिकेश से चलती है तो हम दिन में माता मनसा देवी के मंदिर में रोप्वेज से चले गए और माँ मनसा देवी के दर्शन किये उप्पर से सारे हरिद्वार का विहंगम दृश्य देखने को मिला हर तरफ मंदिर ही मंदिर दिख रहे थे और गंगा की लहरें इठला रही थी मनो सभी देवी देवता हरिद्वार में ही बसते हों जी न होते हुए भी हमें वापिस आना पढ़ा क्योंकि रात हमें ऋषिकेश में बितानी थी, ऋषिकेश पहुँच कर बस टिकट का इंतजाम कर के साम को हम पर्मार्थनिकेतन में चले गए वहां पर उस समय स्वामी चिदानन्द जी महाराज आरती उतार रहे थे ,सो हम भी आरती स्थल पर दर्शन करने पहुँच गए वहां का द्रश्य देखते ही बन रहा था, गंगा जी के किनारे पर आरती हो रही थी सामने शिव जी की परतिमा गंगा जी में विराजमान थी ऐसा लग रहा था मनो सीधे स्वर्ग से उतर आये हों,आरती के बाद हम लोग खाना खाने होटल में गए और फिर ग: मं निगम के विश्राम घर में रातबिताने चले गए , सुबह ५ बजे बस ने केदार नाथ को चलना था सो हम जल्दी सो गए सुबह टाइम पर उठ कर तैयार हो गए ,चाय पीकर हम बस में बैठ गए और बस केदारनाथ की तरफ चल दी, सब से पहले देव प्रियाग आया जहाँ पर भागीरथी और अलकनंदा का संगम है,यहाँ पर शिव जी और रघुनाथ जी के मंदिर हैं, दोपहर २ बजे के करीब हम गौरीकुंड पहुँच गए, गौरीकुंड मई रुकने के बजाई हमने केदारनाथ की तरफ को चलना ही ठीक समझा तो चाय पानी पी कर ऊपर को चल दीए यह चढ़ी १४ की;मी; की है आधे रस्ते मेराम्वाधा आता है यहाँ पर कुछ दुकानें चाय पानी की हैं छिपानी पी कर फिर चल दिए , रत होते होते हम केदारनाथ पहुँच गए , यहाँ पर ठण्ड काफी थी हमने कमरे का इंतजाम किया और चाय पी कर बिस्तरों मे बैठ गए कब नींद आई पता ही नहीं चला कियों की सभी थके हुए थे सुबह ४ बजे उठ कर देखा तो गरम पानी वाला आवाजें दे रहा था हमने भी उस से पानी लिया और मुंह हाथ धो कर तैयार हो गए , ठण्ड की वजह से नहाने की हिम्मत किसी को नहीं आई ५बजे तक हम मंदिर मे पहुँच गए हमारे जाने से पहले ही वहां लाइन लग चुकी थी हमभी लाइन मे लग गए हमारी बरी आने पर पुजारी जी ने हम से पूजा करवाई और बताया की यहाँ पर शिव जी की पूजा बर्ष के पीठ के रूप मे होती है कियूं की यहाँ पर शिवजी ने पांडवों कोबैल के रूप मे दर्शन दिए थे पूजा के बाद हम आदि गुरु शंकराचार्य जी की समाधी पर गए जिन्हों ने केदार नाथ कीस्थापना की थी समाधी मे माथा टेक कर ठोढ़ी देर हम वहां घुमे खाना खाया और वापिस गौरीकुंड को चल दिए,गौरीकुंड पहुँच कर होटल मई कमरा लेकर हम आगे के सफ़र के लिए बस का पता करने गए बस के टिकट हमें साम को ही मिल गए , वापिस आ कर खाना खाकर होटल मई आराम करने चले गए अगले दिन सुबह ही हम बद्रीनाथ को चल दिए, श्रीनगर होते हुए हम रुद्द्रप्रियाग पहुंचे जहाँ पर अलकनंदा और मन्दाकिनी का संगम है आगे गौचर होते हुए करनप्रियाग पहुंचे जहाँ पर पिंडारी और अलाक्नाब्दा का संगम है, फिर नन्द प्रियाग होते हुए पीपलकोटी मई दिन का खाना खाया, पीपलकोटी काफी सुन्दर जगह है,यहाँ से हम जोशीमठ पहुंचे जहाँ पर ५कि; मी; लम्बा जम लगाहुआ था ३ घंटे बाद जाम खुला तो हम आगे बढ़ पाए आगे का रास्ता एकतरफा है रात होते होते हम बद्रीनाथ पहुँच गए, वहां रात को कोई होटल या धरमसाला खली नहीं मिला ढूंढते होए हम ग;मं; निगम के होटल पहुँच गए वहां पर कमरे खाली थे हमने वहीँ कमरे बुक करवा लिए।खानखा के हम लोग आराम से सो गए, सुबह उठ कर मंदिर मे गए पूजा की थाली लेकर हम कुंड की तरफ हो लिए जहाँ गरम पानी निकलता है ,गरम पानी से मुंह हाथ धोकर हम मंदिर मे चले गए पूजा अर्चना के बाद हम लोग बाज़ार की तरफ घूमने चले गए घूम फिर के थोढ़ा आराम करने कमरे मे आगये साम के वक्त बस का पता करने गए तो पता चला की आज की बुकिंग ख़तम हो चुकी है, हम वापिस कमरे मे आगये दुसरे दिन टिकटों का इंतजाम कर के हम माना गांव देखने चले गए जो बद्रीनाथ से ३ की:मी: की दूरी पर है हम पैदल ही कुदरत के नजारेलेते माना गांव पहुँच गए यहाँ से कुछ दूरी पर पर गणेश गुफा और विष्णु गुफा हैं यहाँ पर अलकनंदा के उप्पर भीमपुल भी है जो कभी भीम ने नदी पार करने को बनाया था यहाँ पार सरश्व्ती और अलकनंदा का संगम है कुदरत की वादियुं का नज़ारा लेते हुए हम वापिस बद्रीनाथ आगये अगले दिन सुबह ही हम हरिद्वार के लिए वापिस हो गए दिन का खाना गौचर मे खाया और साम को हरिद्वार पहुँच गए वहां से अगले दिन एक और सुखद यात्रा की कामना करते हुए सब ने विदाई ली , और मानसा अपने घर वापिस आगये|
                                              के:आर:जोशी (पाटली)

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